वो शख्स  

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वो ही शख्स मुझे जिंदगी भर के लिए उदास कर गया 
जो हर रोज़ कहता था तुम्हारे चेहरे पे उदासी अच्छी नहीं लगती .../


मैं कहीं भी नहीं  

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मुझको ना ढूंढ ज़मीन ओ आसमान की गर्दिशों में...... 
मैं अगर तेरे दिल में नहीं, तो कहीं भी नहीं....!!



वो, तुम्हारी मेरी बाते  

Posted by Barfani bAbA

इन सपनों में ना दिन होता है, ना रातें होती है 
जो तुम कहना  भूल गये हो, बस वो ही बातें होती हैं .../


प्रेम कहानी - कुछ सच्ची, कुछ झूटी  

Posted by Barfani bAbA

समीर और अर्पिता . . मेरी कल्पना के दो पात्र |


दोनों ही एक दुसरे से बे-इन्तेहाँ मोहब्बत करते थे . एक ही शहर में रहते थे, कभी हँसते थे, कभी लड़ते थे, पर एक दुसरे के बिना एक पल भी नहीं रह पाते थे.  बच्चो जैसा पागलो वाला प्यार था उनका |


लेकिन इस कहानी में ना तो शहर का कोई नाम है, ना कोई और रिश्ता-नाता, ना उम्र का जिक्र है, ना वक़्त का.......... ये तो एक कोरी कल्पना है , मेरा एक सपना …आधा - अधुरा |


ये कहानी  चलेगी....टुकडो - टुकडो में .


क्युकी उनकी   प्रेम कहानी भी  टुकड़ो में ही चली थी, टुकड़ा-टुकड़ा सुख, टुकड़ा-टुकड़ा दुःख |

ये ही सुख - दुःख के दुकड़े  इस यादों  भरी  झील में तैर रहे है | आईये इन टुकडो को जोड़ कर उनकी दुनियां मे चलते है....चलिए  देखेते  है  आज कौन सा टुकड़ा बह कर किनारे पर आया है.....


…........... पड़ते है एक नयी याद.  नयी कहानी..





दो-एक दिन से समीर की तबियत ख़राब थी.. इसलिए काम से छुट्टी  ले कर आज कल वो घर पर ही रहता था.
अपनी अर्पी को वो बहुत miss कर रहा था.. जब अर्पी उसके पास थी तो वो उसका   कितना   ध्यान  रखती थी |

जरा सा समीर का चेहरा उतरा हो तो वो कितना  परेशान हो जाती थी... उसके लिए वो कितना कुछ बनाती और अपने हाथो  से खिलाती थी...
रात दिन उसकी फ़िक्र करती थी जब तक समीर की तबियत ढीक ना हो जाए...


उसकी सेहत  के लिए उसने कितने  मंदिरों में और कितनी मज़ारो में  मन्नत मांगी थी,... कितने ज्योतिषों से उसके बारे में पुछा था...

समीर के लिए वो पूरी तरह समर्पित थी... इतना प्यार कोई इंसान किसी को नहीं कर सकता...


दो दिन से समीर बिस्तर पर लेटा  बस पुरानी फोटो  को देख रहा था... उसकी और अर्पिता की...वो पुरानी  यादों में खो गया था ..

एक फोटो में दोनों ने ब्लैक गॉगल्स लगा रखे थे.. काफी पुरानी फोटो थी... क्या डैशिंग लग रही थी उसकी अर्पी...


और एक फोटो में वो दोनों जब किसी हाट में थे... तब की... वो फोटो समीर को बहुत ही प्यारी थी .. अर्पिता ने महरून कलर का सूट पहना हुआ था...और पक्की राजस्थानी लग रही थी.... उसने प्यार से समीर का हाथ पकड़ा हुआ था और समीर ने प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखा हुआ था उस  फोटो में....


समीर को आज भी उस हाथ की नरमी अपनी हथेलियों पर महसूस हुई ...लगा जैसे अर्पिता की उँगलियाँ अभी भी उसके हाथो में और उसकी उंगलियों में कसमसा रही हो....


जब कभी अर्पी को कोई बात समीर को बतानी होती थी, या अपनी बात मनवानी होती, तो वो उसका हाथ अपने हाथ में ले कर उसकी उंगलियों से खेलने लगती थी.. और कहती … सुनिए जी... आपको एक बात बतानी है... और समीर किसी जादू में बंधा उसकी मीठी बातों में खो जाता... ना जाने क्या - क्या वो समीर से मनवा लेती थी उसकी उँगलियों से खेलते खेलते | बहुत दिनों बाद उंगलियों में वैसी ही कसमसाहट महसूस हो रही थी |


वे भी क्या अजीब दिन थे एक दुसरे पर अधिकार जताने के . 

खुश हो गए तो ऐसे खुश की अपना सब कुछ दे डाले..और नाराज हुए तो ऐसे नाराज की रो रोकर आसमान सर पर उठा  ले..जनम जनम के बंधन तोड़ ले... 

आज ये सब किससे करू ? और करू भी तो अच्छा लगेगा क्या ? मन पर जैसे कफ़न पड़ गया है...

समीर की पलके डबडबा आयी..

वो वक़्त  

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गुज़र गया वो वक़्त जब तेरे तलबगार थे हम,
अब ख़ुदा भी बन जाओ तो सजदा नहीं करेंगे।
 - अमन 
 

तेरी ज़िद्द  

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सब कुछ है मेरे पास पर दिल की दवा नहीं..

दूर वो मुझसे हैं पर मैं खफा नहीं..

मालूम है अब भी प्यार करते है मुझसे..

वो थोडा सा जिद्दी है, मगर बेवफा नहीं..../


तुझे याद कर के  

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कभी ना आये मेरे साथ चल के..
हमेशा गए मुझे बर्बाद कर के...

अगर कभी आ जाये वो मेरी मय्यत पे...
तो कह देना अभी सोया है तुझे याद कर के .../


मेरी हर खुशी  

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मेरी हर खुशी हर बात तेरी है,
साँसो में छुपी ये हयात तेरी है,

दो पल भी नहीं रह सकते तेरे बिना,

धड़कनो  की धड़कती हर आवाज तेरी है .../


मौसम है बारिश का  

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मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है,
बारिश के हर कतरे से आवाज तुम्हारी आती है,
बादल जब गर्जते है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है,
दिल की हर एक धड़कन से आवाज तुम्हारी आती है../


कैसे कैसे लोग  

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कैसे कैसे लोग हमारे जी को जलाने आ जाते हैं

अपने अपने ग़म के फ़साने हमें सुनाने आ जाते हैं .

इन से अलग मैं रह नहीं सकता, इस बेदर्द ज़माने में 

मेरी ये मजबूरी मुझ को याद दिलाने आ जाते हैं../

- मूनिर नियाजी

 

तू बेक़रार रहे  

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ना पूछ, दिल की हक़ीकत मगर ये कहते है..

वो बेक़रार रहे,  जिसने हमे बेक़रार किया.../


ख़ाक हो जायेंगे हम तुम को खबर होने तक  

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अपनी मसरूफियत में खो कर
कही भूल ना जाना हमे ऐ जान....

...की हम मिट्टी के हवाले हो जाए 
और तुम्हे खबर तक ना हो ../


सुना है  

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सुना है आज कल वो परेशान रहते है
उनसे कहना बे-फ़िक्र हम भी नहीं है .

सुना है वो हर वक़्त गुमसुम रहते है
उनसे कहना होश में हम भी नहीं है.

सुना है वो छुप छुप कर अक्सर रोते है
उनसे कहना हँसते कभी हम भी नहीं है.

सुना है उन्होंने वफ़ा का दावा किया है
उनसे कहना बेवफा हम भी नहीं है ../




अपने ज़ख्म  

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सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं
उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा..


 

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राह तकते हुए जब थक गयी आँखें मेरी,
ढूंढने उनको मेरी आँख से आंसू निकले .

चाहत  

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तक़दीर बनाने वाले, तूने भी हद कर दी....

तक़दीर में किसी का नाम लिखा और

दिल में चाहत किसी और की भर दी....!!

कहाँ हो ?  

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तुझ तक जो पहुंचा दे,वो राह नहीं मिलती,
मैंने हरेक मोड़ से,पूछा है पता तेरा
 

तू कबूल है  

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  अपना तो चाहतो में बस इतना सा उसूल है

 जब तू कबूल है, तो तेरा सब कुछ कबूल है ../

अपनी जिंदगी के नाम  

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दिल में जो आया वो लिख दिया.......कभी मिलन , कभी जुदाई लिख दिया

पहली बार मिले थे जहाँ हम …
उन राहों का नाम मंजिल लिख दिया

किया  तूने तार - तार मेरा दामन …
जा मैंने भी तुझे बेवफा लिख दिया ….

इश्क का जूनून था या दीवानापन …
जो अपनी  साँसों को तेरे नाम लिख दिया

तेरी जुदाई है अब मुकद्दर मेरा
इस जिंदगी का नाम इंतजार लिख दिया

दर्दे मोहब्बत के सिवा शायरी है क्या...
जा तेरा नाम हमने ग़ज़ल लिख दिया

दफ़न हो गई हर आरजू सीने में
किसी ने जब से तुझे सनम लिख दिया

तुम बिन  

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बात इतनी सी थी कि तुम अच्छे लगे थे.....

बात इतनी बढ़ गयी कि अब तुम बिन कोई अच्छा नहीं लगता....!!

 

चलन  

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कि मोहब्बत, तो सियासत का चलन छोड़ दिया........ 

हम अगर इश्क ना करते, तो हुकुमत करते.../

 

तेरी बाते ...  

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जुबांन से नाम लेते है, 

आँखों से आंसू छलक जाते हैं .... 

कभी हज़ारों बातें किया करते थे.....

आज एक बात के लिए हम तरस जाते हैं.../

 

उसे जब याद आएगा  

Posted by Barfani bAbA

उसे जब याद आएगा वो पहली बार का मिलना..

तो पल पल याद रखेगा, या सब कुछ भूल जायेगा.

 

उसे जब याद आएगा, गए मौसम का हर लम्हा..

तो खुद ही रो पड़ेगा वो, या खुद ही मुस्कुराएगा.

 

उसे जब याद आएगा के सावन लौट आया है..

बुला लेगा वो मुझको, या खुद ही लौट आयेगा.

 

उसे जब याद आएगा मै कैसे मुस्कुराता था..

तो आँखे मुस्कुरायेंगी , या दामन भीग जायेगा.

 

उसे जब याद आएगा मै कैसे नाम लेता था..

तो मेरा नाम लिखेगा, या अपना भी मिटाएगा .

 

उसे जब याद आएगा मेरा चलना, मेरा फिरना..

तो राह में खार बोयेगा, या फिर पलके बिछाएगा.

 

उसे जब याद आएगा मेरा मुड़ के चले जाना..

तो बंद रखेगा दरवाजे , या फिर राहे सजाएगा.

 

उसे जब याद आएगा मै कैसा शख्स हूँ..

ताल्लुक खत्म कर देगा या रिश्ता निभायेगा  .../


उसे जब याद आएगा.......................................


तेरी गली  

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रिश्ते बड़े अजीब हैं,

तेरी गली के साथ :))

जब भी गुजरता हूँ ...

कदम अपने आप रुक जाते है.../

ख्वाब था  

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ख्वाब था, तुमको नाम ले कर बहुत बार बुलाया

ख्वाब था, तुम अपना नाम मेरी जुबान से सुन कर खुश होती रही

ख्वाब था, तुम मेरे पास आ कर, मेरे बालो में अपनी उंगलिया फिराती रही, मुस्कुराती रही

ख्वाब था, तुमको मैंने अपने सीने से लगाने की कोशिश करी


खवाब था, टूट गया... बांहे खाली थी, लेकिन आंखे भरी हुई

वो  

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वो ख़्वाब था, बिखर गया .....
ख़याल था, जो मिला नही .....
पर ये दिल को क्या हुआ ....
ये क्यों बुझा, पता नही .....!!

तेरे संग.. ..  

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कहीं तो बरसात ऐसी हो जो तेरे संग बरसे......

तन्हा तो मेरी आँखें, हर रोज़ बरसती हैं....!!
.

तुझे नाम से  

Posted by Barfani bAbA

मै जगाऊंगा तुझे नाम से .... " जाना "
और तुम धीरे से जब  पलके उठाओगी  ना उस दम, 
दूर  ठहरे  हुए पानी पर  सहर खोलेगी आँखे  , 
सुबह हो जाएगी तब .. सुबह.......... मेरे जीवन में

तेरा ख्वाब .. ..  

Posted by Barfani bAbA




कितना असल था तेरा कल रात ख्वाब में आना...
कितना असल था वो तेरा मेरे पास से गुजरना .. ..
कितना असल था तेरा वो मुझे देख कर रुक जाना .. ..

मैंने हाथ बढ़ाया तेरे को छूने के लिए 
और ख्वाब टूट गया ...... 

 

तुम्हारे होंट  

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चिरागों ने खोल ली है अपनी भीगी हुई सी उदास आंखे..
तुम ने खीच लिया है अपने चेहरे पर हया का आँचल ..
तुम्हारे होंटो के ठन्डे ठन्डे गुलाबों को छु कर ..
मै हौले हौले मना कर, आँचल उतार दूंगा ...


उसकी आँखों का रंग  

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कभी कभी जब मै बैठ जाता हूँ अपनी 'यादों' के सामने, छोटे से दायरे में 


वो घूर के देखती है मुझको ...........


एक 'याद' आगे आती है, छु के पेशानी पूछती है 

" बताओ अगर दुःख है सोच में कोई तो, मै पास बैठू, मदद करू और सुलझा दू उलझने तुम्हारी ?" 


"उदास लगते हो" , एक कहती है पास आकर 

"जो कह नहीं सकते तुम किसी को, तो मेरे कानो में डाल दो राज अपनी सरगोशियों के"


भड़क के  कहती है एक नाराज 'याद' मुझसे 

"मै कब तक अपनी आँखों मे लूंगी तुम्हारी आँखों का खारा पानी "


एक और छोटी सी  'याद' कहती है.. 

" पहले भी कह चुकी हूँ तुझे, जिंदगी की चढ़ान चड़ते अगर तेरी साँसे फूल

 जाये, तो मेरे कंधे पे रख दे कुछ बोझ , मै उठा लू "

 
वो चुप सी एक 'याद' पीछे बैठी जो टकटकी बांधे देखती रहती है मुझे बस..
  
 ना जाने क्या है की उसकी आँखों का रंग तुम पर चला गया है ....


कभी - कभी जब मै बैठ जाता हूँ अपनी 'यादों' के सामने, छोटे से दायरे में 

तेरे लिए.. ..  

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जहाँ तुमने मेरे नाम की चादर चड़ाई थी,
वही आज मै फिर खाली हाथ खड़ा हूँ

जहाँ तुमने मेरे नाम की चादर चड़ाई थी,
वही आज मै तेरा नाम लेता हूँ

जहाँ तुमने मेरे नाम की चादर चड़ाई थी,
वही आज मै  तेरे लिए  दुआ मांगता हूँ 


तेरी नफरत  

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अकेला वारिस हूँ, मैं उसकी नफ़रतों का ....... 
जो शख्स सारे शहर में प्यार बांटता था .....!!




खुदा जाने  

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कुछ खटकता तो है पहलू में मेरे रह-रहकर....
अब खुदा जाने तेरी याद है या दिल मेरा.....!!
 
 
 
 

तेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब के मर जाने दे  

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शायद तू कभी प्यासा मेरी तरफ लौट आए......
आँखों में लिए फिरता हूँ, दरिया तेरी ख़ातिर.....!!

तेरी याद  

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शाम होते ही चिराग को बुझा देता हूँ.....

दिल ही काफी है.... तेरी याद में जलने के लिए....!!
 
- जी
 
 
 

तेरी आस  

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राज़-ए-उल्फ़त छुपा के देख लिया
दिल ने बहुत कुछ जला के देख लिया.

और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया

वो मेरे हो के भी मेरे ना हुए
उनको अपना बना के देख लिया.

आज उनकी नज़र में कुछ हमने
सबकी नज़रें बचा के देख लिया.

आस उस दर से टूटती ही नहीं
जा के देखा, ना जा के देख लिया.

-  'फ़ैज़'
 

यार हमारा  

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कुछ दिन पहले इन आँखों आगे क्या-क्या  नज़ारा गुज़रता  था
क्या रौशन हो जाती थी गली जब यार हमारा गुज़रता  था
 
 

तुम  

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सारे मौसम पलट कर आते हैं......
क्या तुम भी कभी लौट आओगे....!!

लम्हा  

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मत कुरेदो, ना कुरेदो मेरी यादों के अलाव ,
क्या खबर फिर वो सुलगता हुआ लम्हा निकले ......./
 
 

होंठ  

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सिल गये होंठ, कोई ज़ख्म सिले या ना सिले,

खिल गये ज़ख्म, कोई फूल खिले या ना खिले .

तुम लौटोगी  

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वो डूबता सूरज जो हमने साथ देखा था ,
जब तक तुम लौटोगी इस  जीवन की शाम हो जाएगी .

वो तुम्हारी साँसे जो मेरी  साँसों में समायी थी,
जब तक तुम लौटोगी सिर्फ गिनती की साँसे रह जाएँगी .

वो पूरा चाँद जो तुम मेरे साथ देखना चाहती थी,
जब तक तुम लौटोगी उस चाँद की चांदनी मेरे बालो पर बिखर जाएगी .


तुम्हारे बग़ैर  

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लिखना तो था के खुश हूँ तुम्हारे बग़ैर भी......

आँसू मगर कलम से पहले ही गिर गए.....!!


तुझे पाने की चाहत  

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झलकती है तस्वीर तेरी बारिश की बूंदों मे ,
आज फिर भीग बैठे तुझे पाने के चाहत मे ../


तुझ से रिश्ता  

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रिवाज तो ये है दुनिया का, मिल जाना या बिछड़ जाना....

तुम से ये कैसा रिश्ता है...ना मिलने का ..ना बिछड़ने का .../
.

वो तेरा 'हैल्लो'...  

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वो जाते जाते मेरी मिस्ड कॉल
वो जाते जाते तेरा  .. 'हैल्लो'
 
वो जाते जाते मेरी खामोश मजबुरिया
वो जाते जाते तेरा  .. 'हैल्लो'
 
वो जाते जाते मेरा टूट कर बिखर जाना
वो जाते जाते तेरा  .. 'हैल्लो'
 
वो जाते जाते मेरी ' जान ' का जाना
वो जाते जाते तेरा  .. 'हैल्लो'

मेरे आँसू...  

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मेरी खुशबु संभाल कर रखना, दिल पे काबू संभाल कर रखना. ...

तेरे सीने से लग के रोये थे हम, मेरे आंसू संभाल कर रखना.../

 


 

फिर  

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आओ फिर किसी दर्द को सहला कर, सूजा ले आँखे ,

फिर किसी दुखती हुई रग से छुआ दे नश्तर ,
 
 


या किसी भूली हुई राह पे मुड़ कर एक बार ,

नाम ले कर किसी हमनाम को आवाज ही दे ले ..../
 

गम  

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अब तो मेरी आँखों में अश्क भी नहीं है....
पहले की बात और थी... तब ये गम था नया नया .../
 
 

तेरे ग़म  

Posted by Barfani bAbA



तेरे ग़म को जाँ की तलाश थी, तेरे जाँ-निसार चले गये

जिन्हेँ जुर्म-ए-इश्क़ पे नाज़ था वो गुनाहगार चले गये../
 
 
 

तेरी तस्वीर ..  

Posted by Barfani bAbA

जिधर देखू तेरी तस्वीर नज़र आती है.....


तेरी सूरत मेरी तकदीर नज़र आती है ........

खता  

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कुछ तो बात है तेरी फितरत में......

2013-04-05 00.09.55
वरना तुझे चाहने  कि खता.... हम बार बार ना करते…

निजात  

Posted by Barfani bAbA

मेरा मानना है की सच्ची निजात यही है की  आपको आपके गुनाह की फ़िक्र भलाई की तरफ ले जाए....


मै जानता हूँ आखिरकार भगवान् माफ़ करेगा... 

आखिरी ख्याल ..  

Posted by Barfani bAbA

अब मैंने एक बात समझी है , अब इस आखिरी ख्याल से मुझे इस बार कोई दर्द नहीं हुआ !अब समझ में आया, माफ़ कर देने की शुरुआत इसी तरह होती है | फिर से जी उठने के शोर शराबे के साथ नहीं.......


बल्कि अपनी चीजो को दर्द के साथ समेटते हुए | उसे बांधते हुए और आधी रात को अपने करीबी लोगो से चुपचाप दूर सिसकते  हुए |

तुम्हारे बिना ....  

Posted by Barfani bAbA

तुम्हारे बिना आरती का दीया यह,
ना  बुझ पा रहा है, न जल पा रहा है।

इस बार नहीं -  

Posted by Barfani bAbA

इस बार जब वह छोटी सी बच्ची
मेरे पास अपनी खरोंच लेकर आएगी
मैं उसे फू-फू करके नहीं बहलाऊंगा
पनपने दूंगा उसकी टीस को
इस बार नहीं

इस बार जब मैं चेहरों पर दर्द लिखूंगा
नहीं गाऊंगा गीत पीड़ा भुला देने वाले
दर्द को रिसने दूंगा
उतरने दूंगा गहरे
इस बार नहीं

इस बार मैं ना मरहम लगाऊंगा
ना ही उठाऊंगा रुई के फाहे
और ना ही कहूंगा कि तुम आंखे बंद करलो,
गर्दन उधर कर लो मैं दवा लगाता हूं
देखने दूंगा सबको
हम सबको
खुले नंगे घाव
इस बार नहीं

इस बार जब उलझनें देखूंगा,
छटपटाहट देखूंगा
नहीं दौड़ूंगा उलझी डोर लपेटने
उलझने दूंगा जब तक उलझ सके
इस बार नहीं

इस बार कर्म का हवाला दे कर नहीं उठाऊंगा औज़ार
नहीं करूंगा फिर से एक नई शुरुआत
नहीं बनूंगा मिसाल एक कर्मयोगी की
नहीं आने दूंगा ज़िंदगी को आसानी से पटरी पर
उतरने दूंगा उसे कीचड़ में, टेढ़े-मेढ़े रास्तों पे
नहीं सूखने दूंगा दीवारों पर लगा खून
हल्का नहीं पड़ने दूंगा उसका रंग
इस बार नहीं बनने दूंगा उसे इतना लाचार
की पान की पीक और खून का फ़र्क ही ख़त्म हो जाए
इस बार नहीं

इस बार घावों को देखना है
गौर से
थोड़ा लंबे वक्त तक
कुछ फ़ैसले
और उसके बाद हौसले
कहीं तो शुरुआत करनी ही होगी
इस बार यही तय किया है

-
प्रसून जोशी

मेरी बेटी  

Posted by Barfani bAbA

जहाँ चलती मेरी गुड़िया रानी
बजते घुंघुरू पाँव में
आ लाली मेरी बाँहों में ।

हर पल तुमको खुश रखू
हर खुशिया पहनाऊ
जो तू मांगे हीरे मोती
अगर मिले तो लाऊ

लाली मेरी खुशिया बिखराए
आजा धूप से छाह में
आ लाली मेरी बांहों में

हर खुशिया उपहार मिले तुझे
बस जा मेरी आशाओं में
आ लाली मेरी बाहों में

लोग कहेगे अपने मुह से
मेरा सपना सच्चा है
रोशन होगा नाम हमारा
लोग कहे मेरा बच्चा है

जहाँ चलती मेरी गुड़िया रानी
बजते घुंघुरू पाँव में
आ लाली मेरी बाँहों में

सजा  

Posted by Barfani bAbA


पूछ लो खुदा से आपके लिए ही दुआ मांगी ,
पूछ लो हवा से आपके लिए ही फिजा मांगी ।
आपने की जितनी भी गलतिया ,
हमने दुआ में अपने लिए उतनी ही सजा मांगी ।

तेरी जुदाई  

Posted by Barfani bAbA


खुदा किसी को किसी पे फ़िदा ना करे ,
करे तो क़यामत तक जुदा ना करे ,
यह माना की कोई मरता नही जुदाई में ,
लेकिन जी भी तो नही पता तन्हाई में ...

वो कहते है  

Posted by Barfani bAbA


वो कहते है मजबूर है हम ,
ना चाहते हुए भी तुमसे दूर है हम ,
चुरा ली उन्होंने धड़कने भी हमारी ,
फिर भी कहते है बेकसूर है हम !
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कुछ रिश्ते अनजाने में हो जाते है ,
पहले दिल, फिर ज़िन्दगी से जुड़ जाते है ,
कहते है उस दौर को दोस्ती ,
जिस में दिल से दिल ना जाने कब जुड़ जाते है !